+91-9871495195 info@vaishparivarsangh.com
Home Banner

Motivational Article प्रेरक लेख, मन की बात, विचार मंच

1. संगठन की आवश्यकता क्यों

  1. आज हम संगठित न होने से देश के शासन व प्रशासन में हमारी पकड़ समाप्त प्राय: हो गई है l हम राजनैतिक स्तर पर बिलकुल हाशिये पर आ गये हैं l

 

  1. आज के राजनीतिज्ञ जनता को जाति-पाति, धर्म, भाई-भतीजावाद व आरक्षण की आड़ में बांटकर जनता को बेवकूफ बना रहे हैं व अपने स्वार्थ की रोटी सेंकते हुए सत्ता पर कब्जा जमाए बैठे हैं l

 

  1. आज देश में अधिकतर  स्वार्थी, चरित्रहीन व घटिया मानसिकता के लोग राज पर हावी हो गए हैं व हमें उनकी दासता करनी पड़ रही है l

 

  1. अपने स्वार्थ व ओछी मानसिकता के कारण न्याय जैसे शब्दों की परिभाषा बदल दी गई है व योग्यता को स्थान नहीं हैं l

 

  1. हमारे बच्चों को योग्य होते हुए भी आरक्षण व अन्य कारणों से नौकरी से दूर रखा जाता है l आरक्षण योग्यता पर कोढ़ के कलंक से भी ज्यादा है l

 

  1. हमारा समाज सबसे ज्यादा समाज सेवी व देशप्रेमी है l  सबसे ज्यादा टैक्स देकर सरकार के खजाने भरता है व फिर भी चोर की निगाह से देखा जाता है l सबसे ज्यादा छापे हमारे ही समाज पर मारे जाते हैं l देश की नीति निर्माण (policy making) में हमें कहीं नहीं पूछा जाता l

 

  1. आज गुण्डा - माफिया द्वारा हमारे समाज को सबसे अधिक शिकार बनाया जाता है l हम शान्तिप्रिय, न्यायप्रिय व धार्मिक पृवर्ति होने के कारण हम डरे हुए, एकाकी व कमजोर महसूस करते हैं l

 

  1. हमारे किसी गरीब परिवार या जरुरतमन्द व्यक्ति को जाति के आधार पर सरकार या किसी अन्य एजेंसी से कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती, जबकि रिजर्व्ड क्लास के लोग MP/MLA या उच्च अधिकारी या क्रीमी क्लास होने के बावजूद उनके बच्चे आरक्षण के कारण उच्च पदों पर बैठें हैं व हमारे बच्चे बेरोजगार घूमते हैं l  उन्हें योग्यता न होने पर भी हर स्टेप पर आरक्षण  चाहिए l सांसद होकर भी या सत्ता में उच्च पदों पर होने के बावजूद भी अपने को दलित दलित कहकर सरकार व जनता को इमोशनल ब्लैक मेल करते हैं तथा आरक्षण की समीक्षा का वचन सुनकर ही देश को आग लगाने की बात करते हैं l आरक्षित बच्चे फॉर्म फीस, नौकरी में apply के चांसेस, आयु व पास कट लिमिट में भी आरक्षण का फायदा उठाते हैं व पदोन्नति में भी हर स्टेप पर आरक्षण का लाभ लेते हैं, जबकि दूसरा चाहे कितना भी गरीब हो, वह हर स्टेप पर मार सहता है l क्या स्वर्ण जाति में जन्म हो गया तो इतने जुल्म ?? और ये जातियों को स्वर्ण व पिछड़ी का नाम भी तो सरकार ने ही दिया है व अपने वोट बैंक के चक्कर में तुष्टीकरण के तहत आरक्षण हटाने का नाम नहीं ले रही l 
  2. हम संगठित न होने की वजह से हमारे अपने संसाधनों का लाभ भी अन्य स्वार्थी व ढोंगी लोग उठाते हैं और हमारे जरूरतमंद व्यक्ति तक कोई मदद नहीं पहुंचती l

 

  1. आज की हालात में यदि हम अपने बच्चों को सुरक्षित देखना चाहते हैं तो हमें अवश्य ही संगठित होना पड़ेगा l इसके लिए हमें स्वयं आगे बढकर पहल करनी होगी l हमे अपनी संगठन शक्ति का अहसास कराना होगा l हमें अपनी रक्षा स्वयं करनी होगी l

 

  1. यदि आज हमारे पास राजनैतिक शक्ति नहीं है तो हमारी आर्थिक शक्तियाँ धरी की धरी रह जाती हैं l Always remember “Financial Power is baseless without Political Power”.

 

  1. आज कहने को तो हमारे समाज की कितनी ही संस्थाएं स्थानीय व राष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर रही हैं, आम आदमी या परिवार को ना तो इसकी जानकारी है व ना ही आजतक आम आदमी की सुध लेने कोई पहुंचा है l  

 

                                                                                             *******

 

 

 

 

 

 

2.    हमारा संगठन कमजोर क्यों

 

जब भी हमें कोई परेशानी होती है या कोई जरूरत  पड़ती है व चारों ओर से कोई सहायता नहीं मिलती है तो हम दुखी मन से असहाय होकर समाज की ओर देखने लग जाते हैं व जब कोई हाथ आगे नहीं बढ़ता तो समाज को कोसने लग जाते हैं व कुछ ही पलों में समाज में अनेक तरह की कमियों को गिना देते हैं l यदि गौर से देखा जाये तो इस के लिए हम ही जिम्मेदार हैं, हमसे मिलकर ही समाज बना है और मैं भी उसी समाज का अंग हूँ l क्या हमने कभी सोचा है कि अपने संगठन को हम इतना सबल व सार्थक बनाएं कि जरूरत पड़ने पर हम किसी की मदद कर सकें l अगर इस का जवाब नहीं में है तो इस भूल को आज ही सुधारें व अपने संगठन को मजबूत बनाने में जुट जाएं, ताकि हमें फिर से न पछताना पड़े l याद रखना कि यह तभी संभव होगा जब हम अपने से शुरूआत करेंगे, व ये भी याद रखना कि बिना कुछ त्याग किये मुफ्त में कुछ मिलने वाला नहीं है l

 

किसी भी संगठन के अच्छे होने का सीधा सा अर्थ है कि वहां के सभी सदस्य आपस में सहयोग करतें हैं, उनमें आपस में तालमेल है l उनके मन में यह बात याद है कि एक व्यक्ति की ताकत से समाज या संगठन में ताकत ज्यादा होती है और हम सब की भलाई मिल कर रहने में ही है l याद रखना कि किसी एक व्यक्ति से संगठन खड़ा नहीं होता, सभी के सहयोग करने व एक दुसरे के परस्पर काम आने से ही संगठन बनता है l यह हम सभी जानते हैं कि संगठन से सभी को केवल लाभ ही होता है, इससे किसी को कोई हानि नहीं होती l

                       

आमतौर पर ये इन्सानी प्रवृति है कि जब हम अपने घर में सुखी होते हैं तो हम किसी पड़ोसी की चिंता नहीं करते कि उसे आज रोटी का टुकड़ा मिला कि नहीं l हम अपने मस्त संसार में खो जाते हैं l दूसरी ओर जब हमें कोई परेशानी आती है तो दूसरों से हमें अपेक्षित सहयोग न मिलने से दुखी हो जाते हैं व समाज को कोसने लगते हैं l कारण स्पष्ट है कि जब हम ने किसी की मदद नहीं की, तो हमारी कौन करेगा l

इस समस्या का सरल सा उपाय है कि हम आज से व अभी से अपने को इस कसौटी पर रखकर देखना प्रारम्भ कर दें कि मैं समाज को क्या दे रहा हूँ अर्थात समाज को ऊँचा उठाने में मेरी क्या भागीदारी है l  हमें अपने निजी एवम पारिवारिक स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज हित की चिंता करनी चाहिए l हमारे हित से समाज व देश के हित बड़ा होता है l यदि हमारे समाज व देश का नाम होता है तो हमारा नाम तो स्वंमेव हो जाता है l हमें समझना चाहिए कि जिस प्रकार पेड़ की केवल जड़ को सींचने से पूरे पेड़ यानि तना, टहनी, पत्ते, फूल व फल का विकास हो जाता है, उसी प्रकार यदि हम संगठन रूपी पौधे को सींचने लगेंगें तो हमें इसके मीठे फल मिलेंगें व हमारी सब समस्याओं का समाधान इसी एकता रूपी वट वृक्ष में छुपा है l आओ इसे अपनाएं व खुशियों की फसल कांटे l     

                                                                                                                                     ब्रह्मप्रकाश गोयल

                                                                                                                                      मोबाइल   9871495195

 

 

 

 

 

 

3. एकता का अर्थ :

  1. एकीकृत या संगठित होने से अभिप्राय है कि हम सभी किसी बात पर एकमत हों अर्थात सभी की उस से सहमति हो, जिसमें हम सभी का हित हो, समाज व देश का हित हो l  जब समाज व देश का हित पूरा होता है, तो हमारा निजी हित तो स्वयंमेव पूरा हो जाता है l हमें सदैव निजी हित से समाज हित को ऊपर रखना चाहिए l

 

  1. दुसरे शब्दों में जब अनेक व्यक्तियों/परिवारों या एक विशाल समाज के हित की बात होती है व उसे पूरा करने हेतु मिलकर मांग उठाई जाती है, तो उस सामूहिक आवाज की अलग पहचान बन जाती है व बड़ी आसानी से मनवाई जा सकती है l  उद्देश्य प्राप्ति की तीव्रता इस बात पर निर्भर करती है कि उस मांग को जितने ज्यादा लोग मिलकर जितनी ज्यादा तत्परता व लग्न से उठाएंगे, उतनी ही जल्दी सफलता मिलेगी यानि उद्देश्य की प्राप्ति होगी l

 

  1. जिस प्रकार पानी की एक बूंद में किसी को बहाकर ले जाने या डुबाने की कितनी शक्ति होती है व बूंद-बूंद से बने समुद्र की ताकत की कोई सीमा ही नहीं, जिसके आगे सभी नतमस्तक हैं l समुद्र क्या नहीं बहा कर ले जा सकता व समुद्र में क्या नहीं समा सकता l  इसी प्रकार रेत के एक कण व कण-कण से बने पहाड़ की शक्ति का अंदाजा लगाया जा सकता है जो बड़े-बड़े तूफानों में भी अडिग रहता है l यह सब रेत के कणों की एकता का ही परिणाम है l  ठीक इसी प्रकार आप जानते हो कि झाड़ू की एक तिल्ली कितना रेत-मिटटी बुहार सकती है व एक-एक तिल्ली से बनी झाड़ू रेत-मिटटी तो क्या, धड़े को भी बुहार सकती है l  एकता में इतनी शक्ति होती है, जिसका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते l ठीक इसी प्रकार एकता के ऐसे अनेक उदाहरण हैं जैसे एक मधुमक्खी का कोई भी व्यक्ति आसानी से मुकाबला कर सकता है, परन्तु मधुमक्खियों के झुण्ड का मुकाबला एक सेना भी नहीं कर सकती, उसे भी अपने बचाव का रास्ता ढूँढना पड़ता है l ये मधुमक्खियों की एकता का ही परिणाम है l

 

  1. हमें इस बात को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि एकता में बल होता है अर्थात संगठन में शक्ति होती है और शक्ति की ही संसार में सदा से ही पूजा की जाती है l  शक्ति को सलाम होता है, वह चाहे दुर्गा माता की शक्ति हो या हनुमान जी की शक्ति या भगवान राम जी की या श्रीकृष्ण भगवान की शक्ति l कमजोर की कभी पूजा नहीं की जाती, कहीं नाम नहीं लिया जाता, कहीं गिनती नहीं की जाती l  आप भूतकाल व वर्तमान में कहीं भी देख लो, भविष्य में भी देख लेना कि अगर कोई अपनी बात मनवाने में सफल हुआ है तो वह है शक्ति, ताकत और यह भी हमेशा याद रहे कि सामूहिक शक्ति/संगठन की शक्ति अथवा समाज की शक्ति किसी भी एक व्यक्ति विशेष की शक्ति से कहीं ज्यादा होती है, चाहे वह  कितना भी ताकतवर क्यों न हो l

 

  1. हमें अपनी सामूहिक ताकत अथवा समाज की संगठन शक्ति का महत्व समझना चाहिए कि हम अपनी इस संगठन की शक्ति से समस्त समाज में सर्वोपरि स्थान प्राप्त कर सकते हैं, अपनी बात मनवा सकते हैं l समझना होगा कि संगठन के केवल लाभ हैं, हानि बिलकुल भी नहीं हैं l

                                                                                                       ब्रह्मप्रकाश गोयल  ९८७१४९५१९५ 

                                                                                          ********* 

 

4. नेतृत्व एक – अनुयायी अनेक :

  1. जब हम ये जानते हैं कि यदि हमारी बिखरी हुई सारी शक्तियाँ केन्द्रित होकर एक सामूहिक शक्ति बन जाती है तो उसमे कुछ भी पाने या कर गुजरने की ताकत आ जाती है l  उदाहरण के तौर पर एक अंगुली की ताकत व पांच अंगुलिओं की बंद मुठ्ठी की ताकत, एक फौजी की ताकत व जवानों से मिलकर बनी पूरी सेना की ताकत में कितना बड़ा अंतर है l ठीक उसी प्रकार बिखरे प्रकाश से कभी आग प्रज्वलित नहीं होती व जब प्रकाश की किरणों को एक लैंस से गुजार कर इकट्ठा कर दिया जाता है तो उसमें आग लगाने के गर्मी/शक्ति आ जाती है l  इस तरह किरणों की सामूहिक शक्ति आग या बूंद बूंद की सामूहिक शक्ति समुद्र, कण-कण से बने पहाड़  या रेशे रेशे से बना रस्सा/जाल की सामूहिक शक्ति को कौन नहीं जानता l

 

  1. संगठन की शक्ति हमें तभी हासिल होगी जब हम अपनी उस सामूहिक शक्ति को पाने के लिए अपने निजी अस्तित्व को मिटाने को तत्पर होंगे जैसे समुद्र का रूप पाने के लिए नदी द्वारा स्वयं को समुद्र में मिलाना पड़ेगा, ठीक उसी प्रकार बड़े पेड़ का रूप पाने के लिए एक बीज को तो अपने अस्तित्व को मिटटी में मिलाना ही होगा l इसी प्रकार से हमें अपनी पूरी ताकत लगाकर अपने  नेतृत्व को मजबूत करना होगा l  सामूहिक शक्ति/संगठन शक्ति का असली रूप हमें तभी देखने को मिलेगा, जब हम किसी एक का नेतृत्व स्वीकार करने या किसी एक के पीछे चलने को तैयार होंगे l हमें स्वयं को किसी के पीछे चलने की आदत डालनी होगी l नुकीला तीर तभी अपने लक्ष्य को भेदने में सफल होता है, जब नरम कोमल धागे की बनी रस्सी रूपी कमान अपनी पूरी ताकत से तीर को आगे भेजती है, अन्यथा कमान रूपी रस्सी तो स्वयं में सीधी खड़ी भी नहीं हो सकती l  अत: हमें अपनी तन-मन-धन की पूरी ताकत लगा कर अपने तीर रूपी नेतृत्व को मजबूत करना होगा जिसकी मजबूती अपना लक्ष्य प्राप्त करने /समाज की सेवा करने के ही काम आएगी l कमजोर नेतृत्व द्वारा समाज को मजबूत करने का तो प्रश्न ही पैदा नहीं होता, अपितु इसका पूरे समाज में नेगेटिव मेसेज जायेगा l कमजोर नेतृत्व का होना या नेतृत्व का असफल होना, आप की ही कमजोरी/असफलता है l नेतृत्व की हार आप की हार होगी क्योंकि आप ने उसको पूरे सहयोग की ताकत नहीं दी l  अत: सफल होने के लिए, आगे बढने के लिए हमें एक झंडे के नीचे आना होगा, एक नेतृत्व के पीछे चलना होगा, एक नेतृत्व को स्वीकार करना होगा l      

                              ********

 

                                          

5. जागो और हुँकार भरो

         प्रिय वैश्य बंधुओ आप सोभाग्यशाली हैं कि आपने वैश्य जाति में जन्म लिया है जो आज सरकार की नीतियों के कारण एक अभिशाप बन गया है l इस जाति का इतिहास बहुत सुनहरा है l इसने बड़े-बड़े राजा-महाराजाओं, शूरवीरों, योद्धायों, राजनितिजों, वैज्ञानिकों, उधोगपतियों, समाजसेवियों, लेखकों, कवियों, शिक्षाविदों, न्यायविदों, पेशेवर इंजिनियरों,  डॉक्टरों, ऋषियों, इतिहासकारों आदि को जन्म दिया, जिन्होंनें अपनी कड़ी मेहनत व सद्गुणों से देश के बहुमूल्य निर्माण में अतुलनीय योगदान किया व आदर्श कायम किये l        समस्त समाज में आज भी इस जाति का नाम है, इस की जुबान आज भी विश्वास के योग्य समझी जाती है l इन की मेहनत व सद्चरित्र के कारण इन्हें 52 बुध्दी वाले कहा जाता है l यदि आप में अपने महान पूर्वजों के दिए संस्कार हैं व अपनी जाति व धर्म के प्रति मान-सम्मान है तो आज भी हम अपने समाज या जाति के प्रति घटिया व्यवहार न पसंद करेंगें, न देखना चाहेगें व न ही सुनना चाहेंगे l

          साथियों वर्तमान में समस्त समाज में हमारे समाज का क्या स्थान है, हमें अन्य समाज व शासन प्रशासन किन नजरों से देखता है, शासन प्रशासन द्वारा नीति निर्धारित करते समय हमारा कितना ध्यान रखा जाता है, यह कोई कहने या बताने की बात नहीं है, इसे तो हम प्रतिदिन अनुभव कर ही रहे हैं l अगर हम राजनीतिज रूप से मजबूत नहीं होंगे तो हमारी आर्थिक सम्पन्नता धरी की धरी रह जाएगी l आज कानून उन्हीं के हक में बनते हैं जो समाज संगठित है, जिस के पास दिखाने को सिर बल होता है, जो अपने वोट बल से सरकार बनाने या बिगाडने की स्थिति में होते हैं l आज टिकट उन्हीं को मिलती हैं जिन के पास वोट बैंक होता है l  आप कब तक देखते रहोगे कि नोट हमारे, वोट हमारी व राज तुम्हारा l कब तक देखते रहोगे कि योग्यता होते हुए भी आप का बच्चा बेरोजगार धक्के खा रहा है, व कम योग्यता वाला अफसर बना न्याय की धज्जियां उड़ा रहा है l क्या हम केवल कमाने, लुटने व छापों के लिए रह गए हैं, यह तमाशा कब तक देखते रहोगे l यह कहाँ का न्याय है l

          दोस्तों यह केवल तभी तक है जब तक आप सोए रहोगे l यकीन दिलाता हूँ कि जिस दिन आप जाग गए, संगठित हो गए, आप को अपनी ताकत का एहसास हो गया व जिस दिन आप ने हुँकार भरी, उस दिन आपसे ज्यादा शक्तिशाली कोई नहीं होगा, आप का राज होगा, आप का शासन-प्रशासन होगा,आप को डराने वाला व लुटने वाला कोई नहीं होगा l

अग्रवालों जुड़ गए तो शेर भी घबराएगा, टूट गए तो गीदड़ भी सताएगा lचाणक्य ने कहा था कि राजनीति में हिस्सा न लेने का सबसे बड़ा  दण्ड यह है कि अयोग्य आप पर शासन करने लगते हैं l   

                   

                                                                                                ब्रह्म प्रकाश  गोयल              मोबाइल   9871495195

                                                                             ************

6. बिना दिए कुछ नहीं मिलता :

  1. बन्धुओं हम अपनी व अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत व पूरी आयु लगा देते हैं, इसके बावजूद भी इस बात की कोई गारन्टी नहीं कि हम अपने परिवार को एक मनचाहा जीवन स्तर दे सकें l  हम में से कितने ऐसे लोग हैं जो अपने अतिरिक्त अपने समाज की भी चिंता करते हैं l कितने ऐसे बिरले लोग हैं जो अपने कुछ पल अपने समाज की सेवा में देते हैं या समाज के बारे में चिन्तन करते हैं, जिस में उसने जन्म लिया है l  कुछ सज्जनों ने तो इस बारे कभी सोचा भी नहीं होगा, कहने की तो बात दूर रही l  प्रिय बन्धुओं हमेशा याद रखना होगा कि बिना मूल्य चुकाए बाज़ार में कुछ नहीं मिलता अर्थात हमें कुछ पाने के बदले हमें अपना कुछ त्याग भी अवश्य करना होगाl

 

 

  1. यदि हम अपने समाज से यह चाहने लगे कि हमारा संगठन हर पल हमारे साथ रहे, जरूरत पड़ने पर हमारी मदद करे, ऐसा तभी सम्भव है जब हमसब ने मिलकर अपने समाज संगठन को इस लायक बनाया हो, उससे पहले ऐसी अपेक्षा करना हमारी भूल होगी l  हमें अपेक्षा करने से पहले अपने समाज संगठन को अपने अपने सहयोग से इस काबिल बनाना होगा कि समाज संगठन वह सब कुछ आप को दे सके, जो आप को चाहिए l जब तक हम अपने कदम इस ओर बढ़ाएंगे नहीं, तब तक हमारी अपेक्षा करना व्यर्थ है l   क्योकि समाज हमसे बना है व जब तक हम इसे अपना सहयोग नहीं देंगे, भला यह सामूहिक शक्ति का रूप कैसे ले सकता है l  समाज संगठन को मजबूत बनाने के लिए हम सभी को मिलकर अपनी पूरी एडी चोटी का जोर लगाना आवश्यक है l इसके लिए हमें अपने 24 घंटे (1440 मिनटों) में से यदि मात्र 10 मिनट प्रतिदिन देते हैं तो वर्ष में 365 x10 = 3650 मिनटों यानि लगभग 60 घंटे या 12-12 घंटे लगाकर एक व्यक्ति पूरे 5 दिन में समाज का बहुत सारा काम कर सकता है l इसी तरह यदि केवल 1 करोड़ व्यक्ति अपने केवल 10 मिनट देते हैं तो लगभग 380 व्यक्ति 12 घंटे प्रतिदिन पूरे साल 365 दिन काम करेंगे, जिनके काम की आउटपुट का आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं – इसे कहते हैं बूंद बूंद से समुद्र भरना l

 

 

  1. इसी तरह हम अगर अपनी नेक कमाई से यदि मात्र 10 पैसे (कुल दान में से दसवां भाग समाज को) देते हैं, तो भी एक पहाड़ सी राशी बन जाएगी l मोटे अनुमान के अनुसार अगर हम समस्त वैश्यों की 15 करोड़ की आबादी मानें व प्रति प्राणी मात्र 100/- वार्षिक दर से सहयोग करे तो यह राशी 1500 करोड़ रुपए का अम्बार खड़ा हो जायेगा, जिससे समाज के हित के सभी कार्य पूर्ण हो सकते हैं l  केवल जरूरत है सच्चे समर्पित, कुशल नेतृत्व की, काम पूरे होने की देर नहीं l

 

 

 

  1. बन्धुओं अगर आप चाहते हैं कि हम अपनी इच्छा से स्वाभिमान का जीवन जियें, शांतिपूर्वक बिना किसी दबाव में जियें, हमारा भाई कोई भूखा न सोए, हमारे बच्चे बेरोजगार न रहें, हमारे बच्चों की शादी अपनी बिरादरी में एक संस्कारवान जीवन साथी से हो, हम अपनी rich culture को बनाए रखना चाहते हैं, तो आओ आज ही संकल्प करें कि संगठन बनाने में आज अभी पहला कदम मेरा ही होगा l  देर किस बात की, देर करते-करते तो आज हम हाशिये पर आ गये हैं l  जागो, जागो, जागो, अब जागने का समय आ गया है l  आज ही अपनी शक्ति को पहचानो और अपनी एकता व संगठन के बल पर मिटा डालो रास्ते की समस्त बाधाओं को l  स्वामी विवेकानन्द ने खा है –

उठो   जागो   और   लक्ष्य   प्राप्ति   तक   रुको   नहीं  l

                                                                                                                           ब्रह्म प्रकाश  गोयल              मोबाइल   9871495195

                                                                                        **********

7. सामूहिक शक्ति जादुई शक्ति :

  1. आप इस बात से सहमत होंगे कि यदि हमारे समाज का नाम ऊँचा होता है तो यह बात हमारे लिए बड़े गौरव व सम्मान की होती है, क्योंकि हम सभी से मिलकर तो अपना समाज बना है व हमारी गिनती तो इसके साथ स्वयं हो जाती है l इसके विपरीत यदि हमारे समाज का नाम कहीं नीचा होता है तो इसमें हमारा नाम आए बिना ही हमारी आँखे नीची हो जाती हैं l इसी प्रकार यदि हम संगठित हैं व अपने सभी कार्य ठीक से चल रहे हैं तो अन्य सभी समाज हमारी तारीफ़ करेंगें व हमारे उदाहरण पेश करेंगे l इसके विपरीत यदि हम संगठित नहीं हैं तो अन्य समाज हमें हेय दृष्टि से देखेगा, सभी हम पर हावी होने लगेंगे, कमजोर समझेंगे, शासन प्रशासन में कहीं कोई पूछ नहीं होगी, इस सबके लिए हम ही जिम्मेदार हैं , कोई और नहीं l हमें इस बात को खुले दिल से स्वीकार करना पड़ेगा जिन-जिन समाज के लोगों ने अपनी  सामूहिक शक्ति के लिए अपना तन-मन-धन देकर इसे सींचा है, सहयोग दिया है, इसे मजबूत करने के लिए अपनी कुर्बानियां दी हैं, उन्हीं समाज की सरकार व दुनियां में सुनी जाति हैं l
  2. सामूहिक शक्ति वो जादुई शक्ति है जिसकी ताकत का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता l इस शक्ति के कारण देश-विदेश में कितने ही सफल आन्दोलन हुए व कितनों ने सरकार पलट दी है व कितनों ने एक नए इतिहास की रचना की, इतिहास इस बात का साक्षी है l इस सामूहिक शक्ति के जादू को पाने के लिए निम्न बातों पर अपनी सहमति जुटानी आवश्यक है अर्थात वे बातें जिनसे हम ये सामूहिक जादुई शक्ति प्राप्त कर सकते हैं :-
  1. मैं व मेरा परिवार समाज की एकता व संगठन में विश्वास करते हैं l  हम इस बात से सहमत हैं कि संगठन की शक्ति किसी एक व्यक्ति या परिवार की शक्ति से कहीं ज्यादा होती है l  संगठित होने से लाभ ही लाभ हैं, नुकसान कोई भी नहीं है l
  2. हमारा विश्वास है की जैसे किसी वस्तु को पाने के लिए उसका मूल्य चुकाना पड़ता है, ठीक उसी प्रकार हमें अपनी सामूहिक शक्ति को खड़ा करने के लिए अथवा दिखाने के लिए हमें कुछ प्रयास करने होंगे व तन-मन-धन के माध्यम से कुछ त्याग भी करना होगा l  बिना कुछ त्याग किए कुछ पाने की इच्छा रखना व्यर्थ है l जब आप संस्था को कुछ दोगे ही नहीं, तो संस्था के पास कहाँ से आएगा l  इतिहास गवाह है कि जिस-जिस कौम ने कुर्बानी दी हैं, वो कौम सदा अपना उद्देश्य पूरा करने में सफल रही हैं व आगे रही हैं l हमें अपने निजी हित से ऊपर समाज हित को समझना चाहिए l  हमें मानना होगा कि यदि हमारे समाज का नाम ऊंच्चा है तो हमारा नाम तो स्वयंमेव ही ऊंचा है l  एकता के बल पर हमें जो भी कामयाबी मिलेगी, वो किसी एक की ताकत या गुणों से नहीं, अपितु सभी की ताकत मिलाकर उस सामूहिक ताकत के बल पर प्राप्त होगी l  अत: हमें अपनी सामूहिक ताकत को बनाने के लिए आज ही अधिकतम सहयोग का संकल्प करें व अपनी संगठन संस्था को मजबूत बनाएं l  यदि संस्था मजबूत है तो हम मजबूत दिखाई देंगे और यदि हमारी संस्था कमजोर होगी तो इससे लगेगा कि हम ही कमजोर हैं l   

     

                                                                                                                                                    ब्रह्म प्रकाश  गोयल              मोबाइल   9871495195

                                                                                                         *********

 

 

 

8. वैश्य जाति की विशेषताएं :

आदरणीय बन्धुओं

  1. देश दुनियां में प्रचलित सामाजिक वर्ण एवम जातीय व्यवस्था अनुसार हमने वैश्य जाति में जन्म लिया है, जिसे अग्रकुल के नाम से भी जाना जाता है यानि कि सदैव आगे रहने वाला समाज l हमें अपनी जाति में जन्म लेने पर बड़ा गर्व है l हमारी जाति का देश दुनियां में बड़ा नाम है व आज भी इस जाति को बड़े मान-सम्मान से देखा जाता है l पूरी दुनियां में हमारी साख (goodwill) के बड़े चर्चे हैं l  इतिहास साक्षी है कि हम लोग इमानदार, मेहनती, कमाकर खाने वाले, व्यवहार में सच्चे व अपनी जुबान के पक्के माने जाते हैं l हम लोग सादा-जीवन उच्च-विचार में विश्वास रखते हैं l  हम अपनी सच्ची लग्न, कर्मठता, मितव्ययता, दूरदृष्टिता एवम समर्पण भाव से पत्थर से पानी निकालने में समर्थ माने जाते हैं l  नम्रता व व्यवसायिक निपुणता हमारे खून में है l  समाज के हर क्षेत्र में हमारे बन्धुओं ने अपने इन्हीं सद्गुणों से विकास की बुलंदिओं को छुआ है व अपना, अपने परिवार व समाज का तथा देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है l

                                                       ब्रह्म प्रकाश  गोयल              मोबाइल   9871495195

                                                      *********

9. वैश्य समाज का इतिहास साहित्य

  1. वैश्य शब्द की उत्पत्ति भी वेदों के समय से ही हुई, जिनके अनुसार समाज को चार वर्गों में बांटा गया था – ब्राह्मण, वैश्य, राजपूत और शुद्र l  वेदों में इन चारों वर्णों द्वारा किए जाने वाले कार्यों की भी व्याख्या की गई है l  वेदों में वैश्य समाज का मुख्य कार्य कृषि, गौरक्षा एवम व्यापार करना बताया गया है l वैश्य का कार्य शरीर में पेट व जंघा के समान बताया गया है, जो शरीर रूपी समाज का पालन पोषण करता है l यह वर्ण सब वर्णों से अधिक परिश्रमी है, इसी कारण इस पर लक्ष्मी की सदैव कृपा रहती है l  कालान्तर में वैश्य समाज का सम्बन्ध व्यापार से ही जोड़ दिया गया व कृषक समाज को इससे अलग माना जाने लगा l  आज भी वस्तुस्थिति यही है कि जो व्यापार करता है, उसे वैश्य के ही रूप में देखते हैं l  वस्तुत: व्यापारी समाज को ही वैश्य समाज के नाम से जाना जाता है, जिसका दूसरा नाम बनिया समाज है l  देश व संसार के कोने-कोने में इस समाज के कामों व विशेषताओं को देखते हुए इसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है जैसे श्रेष्ठी समाज, अग्र समाज (जो सदा हर काम में आगे रहता है), महाजन समाज, 52 बुद्धि समाज, वणिक समाज, गुप्त या गुप्ता समाज, मारवाड़ी समाज, शाह, सेठ आदि आदि नामों से भी जाना जाता है l

 

  1. आगे चलकर इसी समाज के कुछ लोगों ने अपने मूल स्थान के आधार पर, कुछ ने अपने वंश के प्रमुख व्यक्ति के नाम पर, कुछ को व्यवसाय करने के आधार पर, कुछ को धर्म विशेष के आधार पर, कुछ को पद, पदवी, गुंणों या घटना आदि के आधार पर जाना जाने लगा या अपनी पहचान बनाई l पहचान की दृष्टि से वे अपने नाम के साथ कुछ शब्द जोड़ने लगे, जिन्हें अल्ल और बंक कहा जाता है, जैसे माखरिया, हिसारिया, हरलालका, हिम्मतसिंहका, पंसारी, कंदोई, जौहरी, मसखरा, काइयां, जैन, आर्य समाजी,पटवारी, खजांया, कानूनगो, नम्बरदार, चौधरी, सुगला, चिड़ीपाल, टांटिया, जलेबीचोर आदि आदि l इसके अलावा आगे चलकर अग्रवालों के कुछ और भेद सामने आए जैसे बीसा, दस्सा, पंजा, मारवाड़ी, वैष्णव, सैव, जैन, सरावगी, आर्यसमाजी, सिक्ख, राधास्वामी, राजवंशी,अग्रहरी, गिन्दोड्डीया, कदीमी अग्रवाल, मेहमिए, मागधी, पंजाबी गुजराती मोदी अग्रवाल आदि आदि नामों से भी जाना जाता है l
  2. आज शायद ही देश विदेश का ऐसा कोई कोना या भू-भाग हो, जहां वैश्य अग्रवालों का अस्तित्व न हो l  वास्तव में अग्रवालों ने अग्रोहा से निष्क्रमण के बाद देश के कोने-कोने एवम विदेशों में अपना स्थान बना अपनी अद्भुत शक्ति, अनुपम प्रतिभा एवम सर्वोतोमुखी कौशल का परिचय दिया है और उस के मूल में महाराजा अग्रसेन के वे सिद्धांत हैं, जो उसे विरासत रूप में उसे प्राप्त हुए हैं l अपने वैश्य समाज ने ऐसे ऐसे वीर महापुरुषों को जन्म दिया है जिनके बारे में जानकर आप दंग रह जाएंगे l  उन्होंने अपने कड़ी मेहनत से हर क्षेत्र में सदैव नए नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं l  नई पीढ़ी को अपने महापुरुषों के बारे में पता चलेगा कि तुम किन वीरों की सन्तान हो और किन वीरों का रक्त हमारे शरीर में प्रवाहित हो रहा है, जानकर बड़े प्रफुल्लित होंगे l         

 

  1. प्राय: देखने में आया है कि वर्तमान पीढ़ी को अपने परिवार/समाज के इतिहास की जानकारी बहुत ही कम मात्रा में है l  उसका मूल कारण है कि अपने समाज के इतिहास की जानकारी बच्चों को ना ही उनकी स्कूली शिक्षा के दौरान दी जाती, ना ही कालेज के दौरान पढाया जाता l  बच्चे आगे चलकर अपनी व्यवसायिक शिक्षा या व्यापार में व्यस्त हो जाते हैं व फिर शादी व घर-ग्रहस्थ के चक्कर में कभी अपने इतिहास की जानकारी प्राप्त करने का समय ही नहीं मिलता l समाज संगठन संस्थाएं भी इतनी जागरूक नहीं हैं कि वे अपने सभी परिवारों के घर घर तक अपनी पहुंच बनाकर इसका प्रचार प्रसार करें l अपने समाज के साहित्य को घर घर तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा व ज्यादा से ज्यादा बताया भी जाएगा l

 

  1. इसी बात को ध्यान में रखते हुए आप की इस संगठन संस्था ने यह विचार किया है की अपने वैश्य अग्रवाल समाज के बारे में जितना भी इतिहास सम्बन्धी साहित्य उपलब्ध है, उसे समाज की पहुंच में लाया जाए व ज्यादा से ज्यादा बताया जाए l अपने पूर्वजों का जीवन चरित्र सहज सरल भाषा में उपलब्ध कराया जाएगा l  इस बारे में यह भी विचार किया गया है कि उपलब्ध सभी साहित्य को  पहले सूचीबद्ध किया जाए व फिर अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया जाए, ताकि जरूरत पड़ने पर इच्छुक व्यक्ति कभी भी किसी समय पढ़ सकता है, जानकारी ग्रहण कर सकता है l  ऐसा होने से समाज इतिहास विषय पर शोध करने वाले छात्रों को भी एक ही जगह पढने की सारी सामग्री प्राप्त हो सकेगी l  बच्चों व बड़ों को अपने rich golden इतिहास की जानकारी मिलेगी l  इस सम्बन्ध में समाज में प्रतियोगिता भी करवाई जायेंगी, ताकि सभी में अपने समाज के इतिहास पढने में रूचि पैदा हो l उल्लेखनीय है कि अपने देश के इतिहास में गुप्त काल को ही स्वर्णिम काल का दर्जा प्राप्त है l

                                                       

                                                                         ब्रह्म प्रकाश  गोयल              मोबाइल   9871495195

                                                      *********

 

10. समाज की डायरेक्टरी (निदेशिका ) का महत्व

जिस प्रकार से परिवार में मुखिया का महत्व है ठीक उसी प्रकार से समाज संगठन में डायरेक्टरी का महत्व है, जिस के माध्यम से संगठन को अपने परिवारों के बारे में पूरी जानकारी मिलती है जैसे परिवारों की संख्या, उन का नाम, पता, सम्पर्क नम्बर, मूल निवास, गोत्र, काम-धन्धा, आर्थिक व सामाजिक  स्थिति आदिI इस के माध्यम से हमें एक दुसरे के गुणों, क्षमता का पता चलता है व हम एक दुसरे के नजदीक आते हैंl नजदीक आने से हमें अपने बच्चों की शादी करने में मदद मिलती है l वैश्य पंचायत के माध्यम से हम आपसी झगड़े भी मिल बैठ कर निबटा सकते हैंl  इस के माध्यम से हमें व्यापार सम्बन्धी जानकारी जैसे कौन किस वस्तु का डीलर है, उत्पादक है, वितरक है, होल सेलर है या रिटेलर आदि का पता चलता है व व्यापार को बढ़ा सकते हैं l

डायरेक्टरी के माध्यम से हमें अपनी वोटों की संख्या का पता चलता है जिस से राजनैतिक योजना बनाने में मदद मिलती हैl संगठन के मंच से हम समाज हित की विभिन्न कल्याणकारी योजना बना कर समाज का समग्र विकास कर सकते हैं l इस के माध्यम से हमें अपने स्कूल, कालिज, धर्मशाला व अन्य संस्थाओं की जानकारी मिलती हैl ठीक इसी तरह हम अपने शहर के अतिरिक्त अन्य शहर के बारे में भी जान सकते हैं l इस प्रकार से हम जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर योजना बना सकते हैं l

कुल मिला कर हम डायरेक्टरी को अपना डाटा बैंक भी कह सकते हैं l  जरूरत है इस माला के सभी मोतियों को एक धागे में पिरोने की l किसी समाज को संगठित करने के प्रयास में डायरेक्टरी बनाना पहला कदम है l यह सभी जानते हैं कि सभी को साथ लिए बिना संगठन का सपना देखना मात्र सपना ही बना रहेगाl सशक्त संगठन समाज व व्यक्तिगत सभी समस्यायों का इलाज है l

                                                         ब्रह्म प्रकाश गोयल

                                                मोबाइल   9871495195

 

 

11.              अपने इतिहास की जानकारी आवश्यक

प्रभु जी की असीम कृपया से हम आप को वैश्य जाति में जन्म मिला है, जिसका  स्वर्णमयी इतिहास है l  इस जाति ने अनेकोंनेक महापुरुषों को जन्म दिया है , जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत व उच्च आदर्शों से अपना, अपने समाज व देश का नाम रोशन किया है l इन महापुरुषों में अग्रकुल शिरोमणी महाराजा अग्रसेन से लेकर मर्यादा पुरुषोतम रामचंदर जी, सत्यवादी राजा हरीशचंदर, दानवीर भामाशाह, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, शेरे पंजाब लाला लाजपत राय, महान राजनीतिज्ञ  राम मनोहर लोहिया, गोभक्त लाला हरदेव सहाय, लार्ड स्वराजपाल, स्टील किंग लक्ष्मी मित्तल, महान गायक बहनें लता मंगेशकर व आशा भोंसले, रामायण सीरियल के रचयिता रामानंद सागर, इलक्ट्रोनिक चैनल के बादशाह डाक्टर सुभाष चन्द्रा, भारती (Airtel) के संचालक सुनील भारती मित्तल, अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बाबी जिंदल आदि न जाने कितने ही वैश्य विभूति हर क्षेत्र में हुए हैं l इस जाति ने अनेक महान देशभक्त, स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, यौद्धा, शिक्षाविद्ध, धर्मज्ञ, वैज्ञानिक, उधोगपति, समाज सुधारक, कलाकार व दानी पुरुषों को जन्म दिया है जिन्होंने मानवता एवम राष्ट्रहित में अपना सर्वस्व समर्पित करते हुए एक उच्च परम्परा कायम की l दुनियां आज भी हमारी अकल, मेहनत, व्यवहार व जुबान का लोहा मानती है l आज हमें पता होना चाहिए कि हम किन महापुरुषों के वंशज हैं व हमारी रगों में किन का खून बहता है l

किसी भी घर परिवार समाज व राष्ट्र की आगामी नीति पिछले इतिहास (रिकॉर्ड) को देखकर बनाई जाती है l जिस वंश, समाज, जाति व देश का जितना स्वर्णमयी इतिहास होगा उसका भविष्य भी उतना ही उज्जवल होगा l कितने दुःख की बात है कि आज हमारे बच्चों को अपने समाज के इतिहास (जाति, गोत्र, वंशावली, अपने इतिहास पुरुष आदि) के बारे में ज्ञान न के बराबर है l कल्पना करो कि जब हमें अपने परिवार के सदस्यों की ही जानकारी नहीं होगी, तो हम संगठन संस्था की कैसे उम्मीद कर सकते हैं l हमें अपने इतिहास से पता चलेगा कि पहले हमारे समाज की क्या दशा व दिशा थी व आज क्या है, हमारा राजनैतिक औचित्य क्या था व आज हमें सुधार के लिए क्या करना चाहिए l हम अपने संगठन से तभी कुछ उम्मीद कर सकते हैं जब हम इस से जुड़ कर इसे इस योग्य बनाएंगें l आओ संकल्प करें कि हम अपने समाज से सक्रीय रूप से जुड़ कर संगठित होकर सभी का विकास करेंगें l

                   

                                                   ब्रह्म प्रकाश गोयल

                                                मोबाइल   9871495195

 

 

12.                              जागो और हुँकार भरो

         प्रिय वैश्य बंधुओ आप सोभाग्यशाली हैं कि आपने वैश्य जाति में जन्म लिया है जो आज सरकार की नीतियों के कारण एक अभिशाप बन गया है l इस जाति का इतिहास बहुत सुनहरा है l इसने बड़े-बड़े राजा-महाराजाओं, शूरवीरों, योद्धायों, राजनितिजों, वैज्ञानिकों, उधोगपतियों, समाजसेवियों, लेखकों, कवियों, शिक्षाविदों, न्यायविदों, पेशेवर इंजिनियरों,  डॉक्टरों, ऋषियों, इतिहासकारों आदि को जन्म दिया, जिन्होंनें अपनी कड़ी मेहनत व सद्गुणों से देश के बहुमूल्य निर्माण में अतुलनीय योगदान किया व आदर्श कायम किये l        समस्त समाज में आज भी इस जाति का नाम है, इस की जुबान आज भी विश्वास के योग्य समझी जाती है l इन की मेहनत व सद्चरित्र के कारण इन्हें 52 बुध्दी वाले कहा जाता है l यदि आप में अपने महान पूर्वजों के दिए संस्कार हैं व अपनी जाति व धर्म के प्रति मान-सम्मान है तो आज भी हम अपने समाज या जाति के प्रति घटिया व्यवहार न पसंद करेंगें, न देखना चाहेगें व न ही सुनना चाहेंगे l

          साथियों वर्तमान में समस्त समाज में हमारे समाज का क्या स्थान है, हमें अन्य समाज व शासन प्रशासन किन नजरों से देखता है, शासन प्रशासन द्वारा नीति निर्धारित करते समय हमारा कितना ध्यान रखा जाता है, यह कोई कहने या बताने की बात नहीं है, इसे तो हम प्रतिदिन अनुभव कर ही रहे हैं l अगर हम राजनीतिज रूप से मजबूत नहीं होंगे तो हमारी आर्थिक सम्पन्नता धरी की धरी रह जाएगी l आज कानून उन्हीं के हक में बनते हैं जो समाज संगठित है, जिस के पास दिखाने को सिर बल होता है, जो अपने वोट बल से सरकार बनाने या बिगाडने की स्थिति में होते हैं l आज टिकट उन्हीं को मिलती हैं जिन के पास वोट बैंक होता है l  आप कब तक देखते रहोगे कि नोट हमारे, वोट हमारी व राज तुम्हारा l कब तक देखते रहोगे कि योग्यता होते हुए भी आप का बच्चा बेरोजगार धक्के खा रहा है, व कम योग्यता वाला अफसर बना न्याय की धज्जियां उड़ा रहा है l क्या हम केवल कमाने, लुटने व छापों के लिए रह गए हैं, यह तमाशा कब तक देखते रहोगे l यह कहाँ का न्याय है l

          दोस्तों यह केवल तभी तक है जब तक आप सोए रहोगे l यकीन दिलाता हूँ कि जिस दिन आप जाग गए, संगठित हो गए, आप को अपनी ताकत का एहसास हो गया व जिस दिन आप ने हुँकार भरी, उस दिन आपसे ज्यादा शक्तिशाली कोई नहीं होगा, आप का राज होगा, आप का शासन-प्रशासन होगा,आप को डराने वाला व लुटने वाला कोई नहीं होगा l

अग्रवालों जुड़ गए तो शेर भी घबराएगा, टूट गए तो गीदड़ भी सताएगा lचाणक्य ने कहा था कि राजनीति में हिस्सा न लेने का सबसे बड़ा  दण्ड यह है कि अयोग्य आप पर शासन करने लगते हैं l                      

 ब्रह्म प्रकाश गोयल मोबाइल   9871495195

 

 

13.    हमारा संगठन कमजोर क्यों

 

जब भी हमें कोई परेशानी होती है या कोई जरूरत  पड़ती है व चारों ओर से कोई सहायता नहीं मिलती है तो हम दुखी मन से असहाय होकर समाज की ओर देखने लग जाते हैं व जब कोई हाथ आगे नहीं बढ़ता तो समाज को कोसने लग जाते हैं व कुछ ही पलों में समाज में अनेक तरह की कमियों को गिना देते हैं l यदि गौर से देखा जाये तो इस के लिए हम ही जिम्मेदार हैं, हमसे मिलकर ही समाज बना है और मैं भी उसी समाज का अंग हूँ l क्या हमने कभी सोचा है कि अपने संगठन को हम इतना सबल व सार्थक बनाएं कि जरूरत पड़ने पर हम किसी की मदद कर सकें l अगर इस का जवाब नहीं में है तो इस भूल को आज ही सुधारें व अपने संगठन को मजबूत बनाने में जुट जाएं, ताकि हमें फिर से न पछताना पड़े l याद रखना कि यह तभी संभव होगा जब हम अपने से शुरूआत करेंगे, व ये भी याद रखना कि बिना कुछ त्याग किये मुफ्त में कुछ मिलने वाला नहीं है l

 

किसी भी संगठन के अच्छे होने का सीधा सा अर्थ है कि वहां के सभी सदस्य आपस में सहयोग करतें हैं, उनमें आपस में तालमेल है l उनके मन में यह बात याद है कि एक व्यक्ति की ताकत से समाज या संगठन में ताकत ज्यादा होती है और हम सब की भलाई मिल कर रहने में ही है l याद रखना कि किसी एक व्यक्ति से संगठन खड़ा नहीं होता, सभी के सहयोग करने व एक दुसरे के परस्पर काम आने से ही संगठन बनता है l यह हम सभी जानते हैं कि संगठन से सभी को केवल लाभ ही होता है, इससे किसी को कोई हानि नहीं होती l

                       

आमतौर पर ये इन्सानी प्रवृति है कि जब हम अपने घर में सुखी होते हैं तो हम किसी पड़ोसी की चिंता नहीं करते कि उसे आज रोटी का टुकड़ा मिला कि नहीं l हम अपने मस्त संसार में खो जाते हैं l दूसरी ओर जब हमें कोई परेशानी आती है तो दूसरों से हमें अपेक्षित सहयोग न मिलने से दुखी हो जाते हैं व समाज को कोसने लगते हैं l कारण स्पष्ट है कि जब हम ने किसी की मदद नहीं की, तो हमारी कौन करेगा l

इस समस्या का सरल सा उपाय है कि हम आज से व अभी से अपने को इस कसौटी पर रखकर देखना प्रारम्भ कर दें कि मैं समाज को क्या दे रहा हूँ अर्थात समाज को ऊँचा उठाने में मेरी क्या भागीदारी है l  हमें अपने निजी एवम पारिवारिक स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज हित की चिंता करनी चाहिए l हमारे हित से समाज व देश के हित बड़ा होता है l यदि हमारे समाज व देश का नाम होता है तो हमारा नाम तो स्वंमेव हो जाता है l हमें समझना चाहिए कि जिस प्रकार पेड़ की केवल जड़ को सींचने से पूरे पेड़ यानि तना, टहनी, पत्ते, फूल व फल का विकास हो जाता है, उसी प्रकार यदि हम संगठन रूपी पौधे को सींचने लगेंगें तो हमें इसके मीठे फल मिलेंगें व हमारी सब समस्याओं का समाधान इसी एकता रूपी वट वृक्ष में छुपा है l आओ इसे अपनाएं व खुशियों की फसल कांटे l     

                              ब्रह्म प्रकाश गोयल मोबाइल   9871495195

 

14.    अग्रवालों की गौरव गाथा

अग्रवालों का इतिहास भरा, प्रेम भाई चारे से l

एक भाई उठ जाता था, सब भाइयों के सहारे से ll

          दीन दुखियों की विपदायों में, हम सदा तैयार रहे,

          भूखे प्यासे नंगों को, हम देते दान हर बार रहे ,

          बना कर कुआँ, बावड़ी, धर्मशाला, करते हम उपकार रहे,

          खोल के स्कूल, कालेज, पाठशालाएँ, करते विद्या का प्रसार रहे,

कोई खाली नहीं जाता था, हमारे घर के द्वारे से,

 अग्रवालों का इतिहास भरा, प्रेम भाई चारे से l

          जब जब देश पर संकट आया, तन,मन,धन, दिया हमारा समाज,

          देशभक्त लाला लाजपत, लोहिया, दिए त्यागमूर्ति जमनालाल बजाज,

          साहित्यकार भारतेंदु, मैथलीशरण दिए, जिन पर गौरव करता भारत आज,

          बड़े बड़े उधोग लगाकर, उन्नत किया अपना देश व समाज,

अग्रवालों का बच्चा बच्चा, देश हित पर विचारे से,

अग्रवालों का इतिहास भरा, प्रेम भाई चारे से l

          हमारे पूर्वज अग्रसेन के राज्य में, रहते थे सब निहाल,

          पूर्ण न्याय सब को मिलता था, खुद रजा रखता था उनका ख्याल,

          सब प्रजा मालोंमॉल थी, कोई नहीं था दुखी और कंगाल,

          सब थे संयमी और मेहनती, सब थे सुखी और खुशहाल,

वैसा ही राज्य भारत में होवे, यही हम सब चाह रहे से,

अग्रवालों का इतिहास भरा, प्रेम भाई चारे से l

                                         खुशहाल चन्द्र आर्य

                                         C/o गोविन्द राम आर्य एंड संस

                                         १८०, महात्मा गाँधी रोड, दूसरा तल्ला,

                                         कोलकत्ता-७००००७

                                         फोन २२१८३८२५, मोबाइल ९२३००१४९४२.