संस्था की संगठन प्रणाली
- किसी भी संस्था को सफल बनाने में उसकी संगठन प्रणाली का बहुत बड़ा रोल होता है l संस्था तभी कामयाब होगी जब उसकी संगठन व कार्य प्रणाली परइससे जुड़ने वाले व्यक्ति को पूरा भरोसा हो कि इस संस्था के उद्देश्य तो ठीक हैं ही, अपितु इसकी संगठन व कार्य प्रणाली भी स्थिर व स्पष्ट है l कोई भी कार्यकर्त्ता किसी संस्था से तभी जुड़ना चाहेगा जब उसको वहां उचित मान-सम्मान मिले व उसके स्टेटस के अनुरूप उसे सेवा कार्य मिले l
- अखिल भारतीयवैश्य परिवार संघ का गठन समस्त वैश्य समाज के सभी घटकों के समस्त परिवारों, समाज की सभी कार्यरत संस्थाओं को एक मंच पर लाने व एक सूत्र में पिरोने के लिए किया गया है, क्योंकि हम जानते हैं किहम एक हैं तो सर्वश्रेष्ठ हैं और अगर हम अनेक हैं (यानि बिखरे हैं ) तो साफ हैं l हम ये भी अच्छी तरह जानते हैं की संघे शक्ति कलयुगे – कलयुग काल में संघ में ही शक्ति होती है l आपसीफूट में तो सर्वनाश होता है व कुछ शेषनहीं बचता l समाज की यह संस्था समाज के लोगों के हित के लिए ही बनाई है l संस्था का अपना कोई निजी हित नहीं है, अगर है भी तो बस इतना कि हमारे सभी परिवार सुख शान्तिव स्वाभिमान से अपना जीवन जीएं, नाम कमाएं व किसी को कोई तकलीफ न हो l
- संगठन की कड़ी में इसके कार्यकर्त्ता ही इसके प्रबन्धक होंगे l प्रतिनिधि सदस्य जो अपने आस-पड़ोस के आठ या दस या बारह परिवारों का प्रतिनिधित्व करेगा अथवा समाज व संस्था के बीच एक मजबूत सेतु के कार्य करेगा lप्रतिनिधि सदस्य बनने के लिए व्यक्ति को अपने जनगणना फार्म में इच्छा प्रकट करनी होगी l इसके अतिरिक्त वह संस्था कार्यालय में भी सम्पर्क कर सकता है l प्रतिनिधि सदस्य हीवहाँ की संगठन इकाई की कार्यकारिणी का गठन करेंगे व सभी कार्यकारिणी के सदस्य मिलकर अपने पदाधिकारियों काचुनाव करेंगे, जिन पर समाज हित में सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए सक्षम होंगे l इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति अपने व्यस्त जीवन से समाज हित के लिए कुछ समय नहीं निकाल सकते व विशेष आर्थिक सहयोग कर सकते हैं, उनके इस सहयोग को भी महत्व देते हुए ऐसे व्यक्तियों को भी कार्यकारिणी में लिया जाएगा व उन्हें भी वोट का बराबर अधिकार होगा l इसके अलावा कुछ व्यक्तियों को उनकी कुछ विशिष्ठता के कारण समाज हित में संस्था से जोड़ा जाता है, तो ऐसे सदस्य भी विशिष्ठ सदस्य कहलाएंगे, मगर वोट देने के तभी हकदार होंगे जब वे अपना न्युनत्तम अपेक्षित सहयोग देंगे l
- इन्हीं स्थानीय कार्यकारिणी सदस्यों में से जिला कार्यकारिणी के सदस्य नामित किए जाएंगे व कुछ आर्थिक सहयोगकेआधार पर व कुछ अपनी विशिष्टता के कारण सदस्य हो सकते हैं l ये सभी मिलकर जिला कार्यकारिणी का गठन करेंगे व अपने जिला पदाधिकारियों का चुनाव करेंगे lइसी प्रकार राज्य स्तर की इकाई का गठन होगा व अपना कार्य करेगी l
- इसी प्रकार जिला कार्यकारिणी में से राज्य कार्यकारिणी के लिए सदस्य नामित किए जाएंगे व
कुछ आर्थिक सहयोग के आधार पर व कुछ अपनी विशिष्टता के कारण सदस्य हो सकते हैं l ये सभी मिलकर राज्यकार्यकारिणी का गठन करेंगे व अपने राज्यपदाधिकारियों का चुनाव करेंगे lइसी प्रकार राज्य स्तर की इकाई का गठन होगा व अपना कार्य करेगी l
- इसी प्रकार राज्यकार्यकारिणी में से केन्द्रीयकार्यकारिणी के लिए सदस्य नामित किए जाएंगे व कुछ आर्थिक सहयोग के आधार पर व कुछ अपनी विशिष्टता के कारण सदस्य हो सकते हैं l संस्थापक सदस्य तो अपने जीवनकाल तक केन्द्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहेंगे lये सभी मिलकर केन्द्रीयकार्यकारिणी का गठन करेंगे व अपने केन्द्रीय प्रबन्धन बोर्ड केपदाधिकारियों का चुनाव करेंगे lइसे हम think tank का नाम भी दे सकते हैं, जिस परसंस्था चलाने के सारी जिम्मेदारी होगी l किसी विशेष प्रोजेक्ट/कार्यके लिए कोई अलग से समिति गठित की जा सकती है l इसी प्रकार केन्द्रीय स्तर काप्रबन्धन बोर्ड का गठन हो जाएगा l संस्था के प्रारम्भ में ऊपर से नीचे तक सभी सदस्य नामित होंगे व अपनी कार्यकारिणी तथापदाधिकारियों का चुनाव करते हुए प्रथम कार्यकाल पूरा करेगी, इसके पश्चात व्यवस्था बन जाने पर नीचे से लोकतान्त्रिक आधार पर चुन कर आयेंगे l
- संस्था द्वारा हाथ में लिए गए कार्यों को स्थानीय इकाई द्वारा अपने अपने क्षेत्र में लागु किया जाएगा, जिसकी देखरेख जिला, राज्य व राष्ट्रीय इकाई करेगी l जहां कहीं कोई कमी नजर आएगी, वहांसभी तरह का सहयोग वमार्गदर्शन किया जाएगा lसभी के सहयोग से मिलकर केन्द्रीय कार्य योजना (Central Action Plan) तैयार की जायेगी, जिसे योजनाबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा l
- संविधान अनुसार समय पर चुनाव करवाए जाएंगे l संस्था का सारा कार्य संविधान अनुसार लोकतांत्रिक ढंग से पूर्ण किया जाएगा l समय समय पर कार्यकर्त्ताओं को आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा l कामकरने वाले कार्यकर्त्ता को यथा समय उचित तरीके से सम्मानित किया जाएगा l हर इकाई अपने कार्य की प्रगति रिपोर्ट अपने से ऊपर की प्रबन्धन इकाई को करेगी व उसकी एक प्रति मुख्यालय को भी भेजी जायगी, जिसकी समय समय पर समीक्षा होगी व संगठन प्रणाली में जहां कहीं जरूरत होगी, आवश्यक सुधार भी किया जाएगा l
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